union budget 2024 मोदी सरकार का बजट देख फूटा लोगों का गुस्सा, बोले - ये ठीक नहीं !
मोदी सरकार का बजट देख फूटा लोगों का गुस्सा, बोले - ये ठीक नहीं !
मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए बजट पर लोगों का गुस्सा समझना सामान्य है। बजट का प्राथमिक उद्देश्य देश की आर्थिक स्थिति को सुधारना होता है, लेकिन इससे सीधे प्रभावित होने वाले लोगों के लिए इसका प्रभाव विभिन्न हो सकता है। बजट के फैसले के प्रति लोगों का विचार सुनना भी महत्वपूर्ण है।
यह बजट इस लिहाज़ से बहुत बढ़िया है कि इसमें कोई एक पक्ष ऐसा नहीं, जो दूसरों पर हावी हो जाए. निराकार ब्रह्म की तरह. जिसे जैसा पसंद आए वो वैसी कल्पना कर ले, वैसी तस्वीर देख ले. जिससे पूछा उसने यही कहा कि इस बजट की सबसे बड़ी ख़ासियत यही है कि इसमें कोई ख़ासियत नहीं, यानी हेडलाइन नहीं है.
पार्टी लाइन पर चलने वालों के लिए तो बहुत आसान होता है बजट का विश्लेषण. और नहीं भी होता तब भी वो अपने झुकाव के हिसाब से ही तारीफ़ या आलोचना करते. लेकिन बारीकी से देखें तो बजट में कुछ ऐसी ख़ास बातें हैं जिनसे इसका असर और दिशा साफ़ हो सकती है.
सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस बजट से ऐसे ज़्यादातर लोगों को निराशा हाथ लगी है, जो कुछ न कुछ पाने की उम्मीद में थे. उनमें एक बड़ा वर्ग तो इनकम टैक्स भरने वालों का है और दूसरा उससे बड़ा उन लोगों का वर्ग है जिन्हें सरकारी योजनाओं में पैसा या अनाज या काम दिया जा रहा है.
इन सभी को उम्मीद थी कि सरकार की कमाई अब पटरी पर आ रही है और वो उन्हें भी कुछ ऐसा देगी जिससे अपनी ज़िंदगी पटरी पर लाने में और मदद मिल सके. ज़ाहिर है वे निराश हैं और मिडिल क्लास यह बात साफ़-साफ़ कह भी रहा है.
डायरेक्ट टैक्स के मामले में ज़्यादातर लोगों को पता था कि कुछ ख़ास मिलने वाला नहीं है और ऐसा ही हुआ. छोटे कर दाताओं के अलावा ज़्यादातर लोगों के लिए यह राहत की बात ही थी कि कोई नया बोझ नहीं पड़ा.
2047 तक का ख़ाका खींचा
शेयर बाज़ार इस बात से ख़ुश है कि सरकार ने बड़ी बड़ी योजनाओं पर काफ़ी कुछ ख़र्च करने की योजना बना ली है और अगले 25 साल तक का ख़ाका भी खींच दिया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण के पहले हिस्से में जो चार स्तंभ गिनाए, उनमें पहला यानी 'ऑपरेशन गति शक्ति' देखने में भले में रूखा सूखा एलान लग सकता है, लेकिन उसके भीतर काफ़ी कुछ छिपा है. तमाम छोटे बड़े उद्यमियों को दिखने भी लगा है कि कैसे यह प्रोजेक्ट उनकी ज़िंदगी बदल सकता है. लेकिन सच्चाई यह है कि इसमें अभी बहुत वक़्त लगनेवाला है.
अभी बजट से पहले लोग जानना चाहते थे कि महंगाई और बेरोज़गारी से निपटने के लिए बजट क्या करेगा, तो यहां चिंता कम करने वाले कोई संकेत नहीं दिखते. ख़ासकर महंगाई के मोर्चे पर. 60 लाख रोज़गार की बात वित्त मंत्री ने बिल्कुल शुरू में ही की, लेकिन यह आंकड़ा हासिल करने का काम भी लंबा है, रातोंरात यह होने वाला नहीं है.